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शिक्षा और अनुसंधान के लिए भावी दृष्‍टिकोण

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पीएमएसएसवाई के एक भाग के रूप में एम्‍स जैसे संस्‍थानों की स्‍थापना एक अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण पहल है। किंतु इसके लिए उसी ढांचे को अपनाया जाएगा जिस पर लगभग 75 वर्ष पहले भोर समिति द्वारा विचार किया गया था। जैव-चिकित्‍सीय विज्ञानों में बाद में हुई उन्‍नति होने से उच्‍च विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में जैव-चिकित्‍सीय अनुसंधान और स्‍नातकोत्‍तर प्रशिक्षण एवं शिक्षा के अतिरिक्‍त मॉडलों पर विचार करने की आवश्‍यकता हो सकती है। जैव-चिकित्‍सीय विज्ञानों में होने वाली उन्‍नतियों से संस्‍थानों एवं केंद्रों की स्‍थापना की आवश्‍यकता होती है, जिनमें से प्रत्‍येक संस्‍थान की विशेष रोग-समूहों या शारीरिक प्रणालियों पर ध्‍यान केंद्रित करते हुए विशेष अनुसंधान एजेंडा के साथ स्‍थापित करना अपेक्षित होता है। निम्‍नलिखित सूची में वे संस्‍थान शामिल हैं जो राष्‍ट्र की आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए महत्‍वपूर्ण होंगे और जिनकी स्‍थापना 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान की जा सकती है:

  • राष्‍ट्रीय कैंसर संस्‍थान
  • राष्‍ट्रीय संक्रामक रोग संस्‍थान
  • राष्‍ट्रीय गठिया और मांसपेशी-अस्थि रोग संस्‍थान
  • राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान
  • राष्‍ट्रीय मधुमेह संस्‍थान
  • राष्‍ट्रीय मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य एवं व्‍यवहार विज्ञान संस्‍थान
  • राष्‍ट्रीय जीव विज्ञान केंद्र
  • राष्‍ट्रीय बायोमेडिकल इमेजिंग एवं बायो इंजीनियरिंग केंद्र
  • राष्‍ट्रीय अस्‍पताल एवं स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल प्रशासन केंद्र
  • राष्‍ट्रीय उपचर्या शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र
  • राष्‍ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एवं टेलिमेडिसिन केंद्र
  • राष्‍ट्रीय पूरक मेडिसिन केंद्र